Ujjain: 14 नवंबर को होगा हरिहर मिलन, राजसी ठाट-बाट के साथ श्रीहरि विष्णु से मिलने गोपाल मंदिर पहुंचेंगे शिवजी; भगवान विष्णु को सौंपेंगे सृष्टि का भार

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

हिन्दू धर्म में कार्तिक मास, जो कि आठवां महीना है, बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने भगवान विष्णु लंबे समय बाद जागते हैं, इसलिए इसे धार्मिक रूप से खास समझा जाता है। वहीं, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।

बैकुंठ चतुर्दशी का दिन हमारे धर्म में बेहद खास है। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इसी दिन हरि-हर की आराधना का भी बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यही वो दिन है जब भगवान शिव ने इस सृष्टि का सारा कामकाज श्री हरि नारायण को सौंप दिया था।

दरअसल, देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में शयन करते हैं और शिवजी सृष्टि का भार संभालते हैं। श्रीहरि विष्णु के जाग जाने के बाद शिवजी पुनः उन्हें सृष्टि का संचालन सौंप देते हैं।

इस साल बैकुंठ चतुर्दशी 14 नवंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन उज्जैन में हरि का हर से मिलन होगा, और भगवान महाकाल भगवान विष्णु को सृष्टि का भार सौंपेंगे।

बता दें, बैकुंठ चतुर्दशी पर रात श्री महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की सवारी धूमधाम से निकलेगी। यह सवारी गुदरी चौराहा और पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी। वहां रात 12 बजे हरि का हर से मिलन होगा। फिर सवारी उसी रास्ते से वापस महाकाल मंदिर लौटेगी।

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